काल सर्प योग :-   
कई लोगों का मानना है कि काल सर्प योग बहुत खतरनाक होता है। हिन्दी में काल का एक अर्थ “मृत्यु” भी होता है वहीं सर्प का अर्थ होता है “साँप”। ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को साँप का मुंह और पूंछ माना जाता है, इसलिए काल सर्प योग या कालसर्प दोष की उत्पत्ति उस स्थिति में मान्य होती है, जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाएँ। नीचे दी गई रिपोर्ट के माध्यम से आप जान सकते हैं कि क्या आपकी जन्म पत्रिका में भी कालसर्प दोष बन रहा है।

काल सर्प योग अथवा कालसर्प दोष क्या है?
मान्यता है कि कंडली में कालसर्प दोष होना जीवन में बाधाओं को लेकर आता है हमारे चारों तरफ ऐसी कई शक्तियाँ होती हैं, जो हमें दिखाई तो नहीं देतीं लेकिन समय-समय पर हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती रहती हैं, जिसकी वजह से हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और हम एक सामान्य चल रहे जीवन से दिशाहीन हो जाते हैं।

जन्म के वक़्त मनुष्य अपनी कुंडली में बहुत सारे योगों को लेकर पैदा होता है। कुछ योग बहुत अच्छे होते हैं, तो कुछ खराब होते हैं और कुछ ऐसे भी होते हैं जो मिश्रित फल प्रदान करते हैं मतलब व्यक्ति के पास सारी सुख-सुविधाओं के होते हुए भी वह परेशान रहता है।

ऐसे में व्यक्ति अपने दुखों का कारण नहीं समझ पाता और ज्योतिषीय सलाह लेता है। ज्योतिष उस व्यक्ति की कुंडली का पूर्ण रूप से अध्ययन करता है तब उसे पता चलता है कि उसकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली में अनेक प्रकार के शापित योग हो सकते हैं। काल सर्प योग भी इन्हीं दोषों में से एक है।

काल सर्प योग का प्रभाव
कालसर्प दोष का किसी जातक की कुंडली में उपस्थिति मात्र ही उसे भयभीत कर देता है। लोगों की ऐसी धारणा बन चुकी है कि कालसर्प दोष व्यक्ति के लिए कष्टकारी होता है। लेकिन ऐसा जरुरी नहीं है कि कालसर्प दोष की वजह से व्यक्ति को केवल कष्टों का सामना करना पड़ता है। इस बात का अंतिम निर्णय जन्म-कुंडली में विविध लग्नों व राशियों में अवस्थित ग्रह के भाव के आधार पर ही किया जा सकता है।

ऐसे कई लोग हैं और थे जिनकी कुंडली में काल सर्प योग होने के बावजूद वह ऊँचे पदों पर हैं और काफ़ी नाम, शोहरत और पैसे कमाए। उदहारण के तौर पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू, स्वर्गीय मोरारजी देसाई और श्री चंद्रशेखर जैसे बड़े लोगों को देख सकते हैं। इनकी भी कुंडली में कालसर्प दोष था, बावजूद इसके इन लोगों ने काफ़ी प्रसिद्धि प्राप्त की। इसीलिए जन्म कुंडली के अध्ययन के बाद ही इस बाद का नतीजा निकाला जा सकता है कि काल सर्प योग जातक के लिए कितना नुक़सानदेह है या फ़ायदेमंद।

कालसर्प दोष के प्रकार
काल सर्प योग मुख्यतः बारह प्रकार के माने गये हैं। आईये उनके बारे में जानते हैं विस्तार से–

अनन्त काल सर्प योग – यह योग तब बनता है, जब प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु होता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और सरकारी व अदालती मामलों से जुडी परेशानी उठानी पड़ सकती है।

कुलिक काल सर्प योग – कुलिक नामक कालसर्प दोष तब बनता है जब राहु द्वितीय भाव में और केतु आठवें घर में होता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति को आर्थिक और सामाजिक तौर पर कष्ट भोगना पड़ता है। साथ ही इनकी पारिवारिक स्थिति भी काफी कलहपूर्ण होती है।

वासुकि काल सर्प योग – यह योग तब बनता है जब जन्म कुंडली में राहु तृतीय भाव में और केतु नवम भाव में होता है। वासुकि काल सर्प योग से पीड़ित व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिलता और उनका जीवन संघर्षमय गुज़रता है। साथ ही नौकरी व्यवसाय में भी परेशानी बनी रहती है।

शंखपाल काल सर्प योग – राहु कुंडली में चतुर्थ स्थान पर और केतु दशम भाव में हो तब यह योग बनता है। इस कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को आंर्थिक तंगी, मानसिक तनाव, अपनी मां, ज़मीन, परिजनों के मामले में कष्ट भोगना होता है।

पद्म काल सर्प योग – यह योग तब बनता है जब राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में होता है। पद्म काल सर्प योग में व्यक्ति को अपयश मिलने की संभावना होती है। यौन रोग के कारण व्यक्ति को संतान सुख मिलने में समस्या होती है। इस योग के प्रभाव से धन लाभ में रूकावट, उच्च शिक्षा में बाधा होने की संभावना होती है।

महापद्म कालसर्प योग- महापद्म काल सर्प योग में व्यक्ति की कुंडली में राहु छठे भाव में और केतु बारहवें भाव में होता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति को काफी समय तक शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है। साथ ही ऐसे लोग प्रेम के मामले में दुर्भाग्यशाली होते हैं।

कर्कोटक काल सर्प दोष – इस योग में केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में होता है। ऐसे जातकों को नौकरी मिलने और पदोन्नति होने में कठिनाइयां आती हैं। समय-समय पर व्यापार में भी क्षति होती रहती है और कठिन परिश्रम के बावजूद उन्हें पूरा लाभ नहीं मिलता।

तक्षक कालसर्प दोष – इस योग की स्थिति अनन्त काल सर्प योग से ठीक विपरीत होती है। इसमें केतु लग्न में होता है और राहु सप्तम में। इस योग वाले जातक को वैवाहिक जीवन में अशांति का सामना करना पड़ता है। कारोबार में की गयी किसी प्रकार की साझेदारी फायदेमंद नहीं होती और मानसिक परेशानी देती है।

शंखचूड़ कालसर्प दोष – शंखचूड़ काल सर्प योग में केतु तृतीय भाव में और राहु नवम भाव में होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में सुखों नहीं भोग पाता है। ऐसे लोगों को पिता का सुख नहीं मिलता है और इन्हें कारोबार में अक्सर नुकसान उठाना पड़ता है।

घातक कालसर्प दोष – कुंडली में केतु चतुर्थ भाव में और राहु दशम भाव में होने से घातक काल सर्प योग बनता है। इस योग के प्रभाव से गृहस्थ जीवन में कलह और अशांति बनी रहती है। साथ ही नौकरी और रोजगार के क्षेत्र में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

विषधर कालसर्प दोष – इस योग में केतु पंचम भाव में और राहु एकादश में होता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को संतान से कष्ट प्राप्त है। ऐसे लोगों को नेत्र एवं हृदय से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इनकी स्मरण शक्ति अच्छी नहीं होती है और उच्च शिक्षा में रूकावट आती है।

शेषनाग कालसर्प दोष – शेषनाग काल सर्प योग तब आता है जब व्यक्ति की कुंडली में केतु छठे भाव में और राहु बारहवें स्थान पर होता है। इस योग में व्यक्ति को गुप्त शत्रुओं का सामना करना पड़ता है, अदालती मामलो में उलझना पड़ता है और मानसिक अशांति और बदनामी का सामना करना पड़ता है।
आईए जानते हैं काल सर्प योग कारण लक्षण उपाय के बारे में–

कालसर्प योग कारण लक्षण उपाय
काल सर्प योग एक ऐसा योग होता है जो जातक द्वारा उसके पूर्व जन्म में किये गए किसी जघन्य अपराध के शाप या दंड के रूप में उसकी जन्म कुंडली में परिलिक्षित होता है। इसीलिए ज्योतिष आदि में विश्वास रखने वाले हर मनुष्य को काल सर्प योग कारण लक्षण उपाय की जानकारी होनी चाहिए।

ऐसी दशा में व्यक्ति शरीरिक और आर्थिक रूप से परेशान हो जाता है। इसके साथ-साथ उसे संतान संबंधी कष्ट भी होते हैं मतलब या तो वो संतानहीन रहता है या फिर यदि संतान हो जाये तो वह बहुत ही कमज़ोर और रोगी होती है। आर्थिक रूप से भी उसकी रोज़ी-रोटी बहुत मुश्किल से चल पाती है। यदि बालक धनाढय घर में पैदा हुआ है फिर भी उसको आर्थिक क्षति का सामना कारण पड़ता है। न केवल आर्थिक बल्कि उस बालक को तरह-तरह की स्वास्थ समस्याएं होते रहती हैं।

कुंडली में काल सर्प योग का पता चलते ही व्यक्ति को भयभीत होने की बजाय उचित ज्योतिषीय सलाह ले कर इसके निवारण या प्रभाव को कम करने का तरीका जानना चाहिए।

कालसर्प दोष निवारण पूजा
यदि किसी जातक के लिए काल सर्प योग का प्रभाव बेहद अनिष्टकारी हो तो उसे दूर करने के लिए विभिन्न तरह के उपाय भी किये जा सकते हैं। हमारे ज्योतिष शास्त्रों में ऐसे सारे उपायों के बारे में बताया गया है, जिनके द्वारा हर तरह की ग्रह-बाधाएं व दोषों को शांत किया जा सकता है।

आईये जानते हैं काल सर्प योग दूर करने के कुछ आसान उपाय –

यदि पति-पत्नी के बीच निजी ज़िन्दगी में क्लेश हो रहा हो, तो आप भगवान श्रीकृष्ण या बाल गोपाल की मूर्ति जिसमें उन्होंने सिर पर मोरपंख वाला मुकुट धारण किया हो वैसी प्रतिमा को अपने घर में स्थापित कर प्रति‍दिन उनकी पूजा-अर्चना करें। साथ ही ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय या ऊँ नमो वासुदेवाय कृष्णाय नम: शिवाय मंत्र का जाप करे। ऐसा नियमित रूप से करने से कालसर्प दोष की शांति होगी।

यदि काल सर्प योग की वजह से रोजगार में परेशानी आ रही है या फिर रोजगार नहीं मिल पा रहा हो तो आप पलाश के फूल को गोमूत्र में डुबो कर उसे बारीक करें। फिर इसे छाँव में रखकर सुखाएँ। अब इसे चूर्ण बना लें और चंदन पाउडर के साथ मिलाकर शिवलिंग पर त्रिपुण्ड का आकार बनाएँ। ऐसा करने से 21 दिन या 25 दिन में आपको नौकरी अवश्य मिलेग‍ी।
यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे रोज़ाना भगवान शिव के परिवार की पूजा करनी चाहिए। इससे आपके सारे रुके हुए काम होते चले जाएँगे।
यदि आपको शत्रु से भय है, तो चाँदी या ताँबे के सर्प बनवाएं और उसकी आँखों में सुरमा लगाकर किसी भी शिवलिंग पर चढ़ा दें, ऐसा करने से व्यक्ति का भय दूर होता है और छुपे हुए शत्रुओं का भी नाश होता है।

शिवलिंग पर रोज़ मीठे दूध में भाँग डालकर चढ़ाएँ। ऐसा करने से गुस्सा शांत होता है,और जातक को तेजी से सफलता मिलने लगती है।
नारियल के गोले में सात प्रकार का अनाज, उड़द की दाल,गुड़, और सरसों भर लें। अब उसे बहते हुए पानी या फिर नाले आदि के गंदे पानी में बहा दें। ऐसा करने से आपका चिड़चिड़ापन दूर हो जायेगा। इस प्रयोग को आप राहूकाल के समय करें।

कालसर्प दोष के लिए सबसे आसान उपाय- जिस भी व्यक्ति पर कालसर्प दोष हो उसे श्रावण मास में रोज़ाना रूद्र-अभिषेक करना चाहिए और प्रतिदिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से जातक के जीवन में सुख शांति अवश्य आएगी और उसके रूके काम होने लगेंगे।

यदि आपकी कुंडली में यह दोष पाया जाता है तो आप दिए गए निवारण उपाय की मदद ले सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि किसी भी तरह का उपाय करने से पहले आप एक बार ज्योतिष की सलाह अवश्य लें। आशा है हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए लाभप्रद साबित होगी।
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