मांगलिक दोष के लक्षण :-

एक सुखद और संपन्न वैवाहिक जीवन के लिए वर-वधु की कुंडली दोष मुक्त होनी चाहिए, विवाह के समय किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष के लक्षण दिखना बेहद अशुभ माना जाता है। ऐसी धारणा है कि मंगल दोष की वजह से भावी दम्पति को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कहि आपकी कुंडली में भी मांगलिक दोष के लक्षण है या नहीं।

क्या है मंगल दोष / मांगलिक दोष ?
विवाह में बाधा व कठिन वैवाहिक जीवन मांगलिक दोष के लक्षण हैं मांगलिक दोष एक ऐसा दोष है, जिसे किसी भी व्यक्ति के वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दोष की वजह से दाम्पत्य जीवन में कलह, परेशानी, तनाव, तलाक आदि होने की संभावना रहती है। इसे जन्म पत्रिका में कुज दोष या मंगल दोष भी कहा गया है।

हिन्दू धर्म में विवाह के संदर्भ में यह दोष बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। सुखद विवाह के लिए अमंगलकारी कहे जाने वाले मंगल दोष के विषय में ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति कि कुंडली में मंगल दोष हो उसे मंगली जीवनसाथी की ही तलाश करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यदि युवक और युवती दोनों की कुंडली में मंगल दोष की तीव्रता समान है तो ही दोनों को एक दूसरे से विवाह करना चाहिए। अन्यथा इस दोष की वजह से पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु भी हो सकती है।
मांगलिक होने का मतलब
किसी भी स्‍त्री या पुरुष के मांगलिक होने का मतलब यह है कि उसकी कुण्‍डली में मंगल ग्रह अपनी प्रभावी स्थिति में है। विवाह के लिए कुंडली मिलान करते समय मंगल को 1, 4, 7वें, 8वें और 12वें भाव पर देखा जाता है। हिन्दू ज्योतिष परम्पराओं के अनुसार यदि कुंडली में मंगल प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो जातक को मंगल दोष लगता है। जबकि सामान्य‍ तौर पर इन सब में से केवल 8वां और 12वां भाव ही खराब माना जाता है।

पहला स्थान अर्थात लग्‍न का मंगल किसी व्‍यक्ति के व्यक्तित्व को और ज्यादा तेज बना देता है, चौथे स्थान का मंगल किसी जातक की पारिवारिक जीवन को मुश्किलों से भर देता है। मंगल यदि 7वें स्‍थान पर हो तो जातक को अपने साथी या सहयोगी के साथ व्यव्हार में कठोर बना देता है। 8वें और 12वें स्‍थान पर यदि मंगल है तो यह शारीरिक क्षमताओं और आयु पर प्रभाव डालता है। यदि इन स्‍थानों पर बैठा मंगल अच्‍छे प्रभाव में हो तो जातक के व्यवहार में मंगल ग्रह के अच्‍छे गुण आएंगे और यदि यह खराब प्रभाव में हैं तो जातक पर खराब गुण आएंगे।

मांगलिक दोष के प्रकार
उच्च मंगल दोष – यदि मंगल ग्रह किसी जातक के जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली में 1, 2, 4, 7, 8वें या 12वें स्थान पर होता है, तो इसे “उच्च मांगलिक दोष” माना जाएगा। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

निम्न मंगल दोष – यदि मंगल ग्रह किसी जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली में से किसी एक में भी 1, 2, 4, 7, 8वें या 12वें स्थान पर होता है, तो इसे “निम्न मांगलिक दोष” या “आंशिक मांगलिक दोष” माना जाएगा। कुछ ज्योतिषियों के अनुसार 28 वर्ष की आयु होने के बाद यह दोष अपने आप आपकी कुंडली से समाप्त हो जाता है।

मांगलिक व्यक्ति का स्वभाव
मांगलिक व्‍यक्ति के स्वभाव में आपको कुछ विशेषताएं देखने को मिल सकती हैं, जैसे इस तरह के व्यक्ति दिखने में कठोर निर्णय लेने वाले और बोली में भी कठोर होते हैं। ऐसे लोग लगातार काम करते रहने वाले होते हैं, साथ ही यह किसी भी काम को योजनाबद्ध तरीके से करना पसंद करते हैं। मांगलिक लोग अपने विपरीत लिंग के प्रति कम आकर्षित होते हैं। ये लोग कठोर अनुशासन बनाते हैं और उसका पालन भी करते हैं। मांगलिक व्यक्ति एक बार जिस काम में जुट जाये उसे अंत तक पूरा कर के ही दम लेता है। ये न तो लड़ाई से घबराते हैं और न ही नए अनजाने कामों को हाथ में लेने से। अपनी इन्‍हीं कुछ विशेषताओं की वजह से गैर मांगलिक व्‍यक्ति ज्यादा समय तक मांगलिक व्यक्ति के साथ नहीं रह पाता है।

मंगल दोष से जुड़े मिथक
मंगल दोष के विषय में ज्यादा जानकारी न होने के कारण कई लोग अनेकों तरह की बातें करते हैं, जिसकी वजह से समाज में मंगल दोष से जुड़े कुछ मिथक भी हैं।

यदि मांगलिक और अमांगलिक की शादी कराई जाती है तो उनका तलाक निश्चित है। यह एक ऐसा मिथक है जो अक्सर सुनने में आता है, जबकि हम सभी जानते हैं कि किसी भी शादी को चलाने की ज़िम्मेदारी लड़का और लड़की की समझदारी और उनके के विचारों के मेल-जोल पर निर्भर करती है।
मंगल दोष से जुड़ा एक मिथक यह भी है कि यदि आप एक मांगलिक हैं, तो आपको पहले किसी पेड़ से विवाह करनी होगी। मंगल दोष से छुटकारा पाने के अनेकों उपाय हैं और वह उपाय आपकी कुंडली की सही गणना करने के बाद ही बताये जा सकते हैं इसीलिए यह जरूरी नहीं कि सभी मांगलिक युवक/युवतियों को पेड़ से ही शादी करनी पड़े।
कुछ लोग यह समझते हैं कि यदि कोई व्यक्ति मंगलवार को पैदा हुआ है तो वह पक्का मांगलिक हैं जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। मंगल दोष का पता कुंडली देखने के बाद ही लगाया जा सकता है। इसका किसी भी दिन पैदा होने से कोई संबंध नहीं होता है।

मंगल दोष का निवारण
यदि किसी जातक की कुंडली में मांगलिक दोष के लक्षण मिलते हैं तो उन्हें किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह करके ही मंगल दोष के निवारण की पूजा करनी चाहिए। अंगारेश्वर महादेव, उज्जैन (मध्यप्रदेश) में मंगल दोष की पूजा का विशेष महत्व है। यदि यह पूजा अपूर्ण या कुछ जरूरी पदार्थों के बिना की जाये तो यह जातक पर प्रतिकूल प्रभाव भी डाल सकती है। मंगल दोष निवारण के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिससे शादीशुदा जीवन में मांगलिक दोष नहीं लगता है।

वट सावित्री और मंगला गौरी का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला होता है। अगर अनजाने में किसी मांगलिक कन्या का विवाह किसी ऐसे व्यक्ति हो जाता है जो दोष रहित हो तो दोष निवारण के लिए इन दोनों व्रत का अनुष्ठान करना बेहद लाभदायी होता है।
यदि किसी युवती की कुंडली में मंगल दोष पाया जाता है तो अगर वह विवाह से पहले गुप्त रूप से पीपल या घट के वृक्ष से विवाह कर लेती है और उसके बाद मंगल दोष रहित वर से शादी करती है तो किसी प्रकार का दोष नहीं लगता है।
प्राण प्रतिष्ठित किये हुए विष्णु प्रतिमा से विवाह के बाद अगर कन्या किसी से विवाह करती है, तब भी इस दोष का परिहार मान्य होता है।
ऐसा कहा जाता है कि मंगलवार के दिन व्रत रखने और हनुमान जी की सिन्दूर से पूजा करने और उनके सामने सच्चे मन से हनुमान चालीसा का पाठ करने से मांगलिक दोष शांत होता है।
कार्तिकेय जी की पूजा करने से भी इस दोष से छुटकारा मिलता है।


महामृत्युजय मंत्र का जाप सभी बाधाओं का नाश कर देता है। वैवाहिक जीवन में मंगल दोष का प्रभाव कम करने के लिए इस मंत्र की मदद से मंगल ग्रह की शांति करना लाभदायक रहता है।
सभी मंगलवार शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाएं और इसके साथ ही लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब भी अर्पित करें।
लाल रंग के वस्त्र में मसूर दाल, रक्त पुष्प, रक्त चंदन, मिष्टान और द्रव्य को अच्छी तरह लपेट लें और उसे नदी में प्रवाहित करने दे। ऐसा करने से मांगलिक दोष के लक्षण खत्म हो जाते हैं।
गर्म और ताजा भोजन मंगल मजबूत करता है साथ ही इससे आपकी मनोदशा और पाचन क्रिया भी सही रहती है, इसीलिए अपने खान-पान की आदतों में बदलाव करें।
मंगल दोष से निबटने का सबसे आसान उपाय है, हनुमान जी की नियमित रूप से उपासना करना। यह मंगल दोष को खत्म करने में सहायक होता है।
कई लोग मंगल दोष के निवारण के लिए मूंगा रत्न भी धारण करते हैं। रत्न जातक की कुंडली में मंगल के प्रभाव के अनुसार पहना जाता है।

किसी भी युवक या युवती की कुंडली में मंगल दोष का पता लगने पर घरवाले अनगिनत पंडितों के चक्कर में पड़ न जाने कितने उपाय करते हैं जिससे वे अपने पैसे और समय दोनों का नुक्सान करते हैं। यहाँ-वहां भटकने की जगह ज़रूरत होती है तो किसी अनुभवी ज्योतिष से परामर्श लेकर उपाय करने की। किसी मांगलिक व्यक्ति को एक खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने के लिए मंगल दोष की शांति करना बेहद जरूरी होता है।

यदि आपकी कुंडली में मंगल दोष के परिणाम सकारात्मक आते हैं तो आपको एक सिद्ध ज्योतिष के परामर्श से मंगल दोष शांति से जुड़े उपाय आदि करने चाहिए। आशा करते हैं कि हमारे द्वारा दी गयी जानकारी आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगी।

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