जानें कुंडली में कैसे बनता है धन योग और इसके लाभ
धन योग
धन योग कुंडली का वह योग है जिसके कुंडली में मौजूद होने से व्यक्ति को धन संबंधी समस्याएं नहीं होती। इस योग के कुंडली में मौजूद होना व्यक्ति को धनवान बनाता है। आज के दौर में धन की अत्यधिक अवश्यकता है इसलिए हर कोई कुंडली में धन योग चाहता है। कुंडली में यह योग कैसे बनता है इसकी संपूर्ण जानकारी आज हम आपको अपने इस लेख में देंगे।
हर व्यक्ति की कुंडली में लग्न और लग्नेश को सबसे ज्यादा अहमियत दी जाती है। क्योंकि लग्न से आपके स्वास्थ्य और शरीर का पता चलता है इसलिए लग्नेश का कुंडली में अनुकूल होना अतिआवश्यक माना गया है। आप जीवन में धन भी तभी कमा पाते हैं जब आपका स्वास्थ्य अनुकूल हो। लग्न आपके मस्तिष्क को भी दर्शाता है और इसके मजबूत होने से व्यक्ति एकाग्र रहता है और किसी भी लक्ष्य को हासिल करने में सक्षम होता है। इसलिए धन योग में भी लग्न को देखा जाता है।
कैसे पता करें कुंडली का धन योग
इस योग के बारे में जानने के लिए सबसे पहले आपको कुंडली का आकलन करना होता है। इसमें भाव और भावेशों की युति को देखा जाता है और साथ ही चंद्र-मंगल की यति भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
धन योग की विशेष स्थितियां
यदि लग्ननेश और द्वितीयेश का किसी तरह से संबंध बन रहा हो तो धन मिलता है।
द्वितीय भाव का स्वामी यदि अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति कठिन प्रयासों से धन अर्जित करता है।
लग्ननेश यदि दशम भाव में है तो माता-पिता की संपत्ति से अधिक संपत्ति जातक के पास होती है, इसे अच्छा योग माना जाता है।
बुध का कर्क या मेष राशि में होना भी व्यक्ति को धनवान बनाता है।
सभी केंद्र भावों में यदि ग्रह विराजमान हों तो व्यक्ति के पास बहुत संपत्ति होती है, यह भी एक अच्छा धन योग है।
यदि बुध, बृहस्पति और शुक्र की किसी भाव में युति हो रही है तो धार्मिक क्रियाकलापों से व्यक्ति को धन प्राप्त होता है।
यदि कुंडली के पंचम भाव का स्वामी दशम में विराजमान हो तो व्यक्ति अपनी संतान के माध्यम से धनी होता है।
सातवें भाव में शनि, मंगल और राहु कि यति से व्यक्ति को कमीशन से पैसा प्राप्त होता है।
लग्ननेश-पंचमेश, द्वितीयेश-पंचमेश, लग्ननेश-नवमेश की युति या संबंध से भी व्यक्ति को जीवन में धन की प्राप्ति होती है।
चंद्र-मंगल युति
कुंडली में चंद्रमा और मंगल की युति को भी धन योग के रूप में जाना जाता है। इन दोनों कि युति होने से अच्छा धन की प्रचुरता बनी रहती है। यह युति अगर द्वितीय, नवम, दशम या एकादश भाव में हो तो जातक को पैसे की कमी कभी नहीं होती। हालांकि इन भावों पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि नहीं होनी चाहिए नहीं तो धन अर्जित करने में व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
धन योग में दशाओं का भी है महत्व
कुंडली में इस योग का प्रभावी होना आपकी दशाओं पर भी निर्भर करता है। इसलिए कई बार ऐसा होता है कि अच्छी दशा न होने के कारण व्यक्ति को धन हानि होती है लेकिन जब दशाएं अच्छी चलती हैं तो उससे आर्थिक स्थिति ठीक हो जाती है। इसलिए धन योग का सही आकलन करने के लिए दशाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
शुभ माना जाता है शुभ
आज के दौर में धन अति आवश्यक है इसलिए निसंदेह धन योग एक अच्छा योग है। कुंडली में धन योग का होना व्यक्ति को दरिद्रता से दूर रखता है जिससे वह मानसिक रूप से भी स्थिर रहता है। हालांकि इस योग में लग्न का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है, लग्न आपके मस्तिष्क और एकाग्रता को दर्शाता है। यदि कुंडली का लग्न अच्छा नहीं है तो आप एकाग्रता की कमी के कारण धन कमाने में कुछ परेशानियां देख सकते हैं। धन योग के साथ-साथ यदि लग्न भी अनुकूल है तो व्यक्ति को कभी धन से जुड़ी कोई समस्या नहीं आती।
धन योग बनाने वाले ग्रह यदि कमजोर हैं तो व्यक्ति को उन्हें मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए किसी विद्वान ज्योतिष से परामर्श अवश्य लेना चाहिए क्योंकि इससे आपके मस्तिष्क में उठने वाले कई सवालों का जवाब आपको मिल सकता है।
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लाभ
जैसा कि इस योग के नाम से ही जाहिर है कि कुंडली में इसके होने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ मिलता है। यह योग यदि मजबूत है तो व्यक्ति को कभी किसी से उधार नहीं लेना पड़ता। आर्थिक समस्याएं जीवन में ना के बराबर आती हैं और ऐसा व्यक्ति समाज में गणमान्य भी होता है। आर्थिक स्थिति अच्छे होने के कारण पारिवारिक जीवन में भी ऐसे लोगों को ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
पंडित रत्नाकर तिवारी
23 /01/ 2021
(लखनऊ)
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