कई साल बाद इस बार रक्षा बंधन पर बन रहा है सदी का सबसे बड़ा मुहूर्त !

मुहूर्त

रक्षाबंधन एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतज़ार हर साल सभी भाई बहनों को रहता है। हिन्दुओं के बेहद महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक रक्षाबंधन के दिन मुख्य रूप से बहनें अपने भाई की कलाई पर रेशम का धागा बांधती हैं और उसके लंबी उम्र की कामना करती है। रक्षा बंधन के दिन एक विशेष मुहूर्त पर ही राखी बाँधने का रिवाज है। इस साल 15 अगस्त के दिन पड़ने वाले रक्षाबंधन के त्यौहार पर सदी का सबसे बड़ा मुहूर्त बन रहा है। आज हम आपको इस दिन बनने जा रहे ख़ास मुहूर्त और रक्षा बंधन के त्यौहार से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में।

इस रक्षा बंधन पर बन रहा है ये ख़ास मुहूर्त

आप सभी इस बात से भली भांति ज्ञात होंगे की रक्षाबंधन पर बनने वाला मुहूर्त अमूमन काफी छोटा होता है। इस बार ये त्यौहार ख़ास इसलिए है क्योंकि इस दिन सदी का सबसे बड़ा मुहूर्त पड़ रहा है। यानि की बीते कई सालों की तरह इस बार आपको भागमभाग करने की आवश्यकता नहीं होगी, आप बड़े आराम से त्यौहार की ख़ास तैयारियां करते हुए अपने भाई बहनों के साथ इस दिन का पूरा आनंद उठा सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस बार रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त करीबन बारह घंटों का है। माना जा रहा है कि कई साल के बाद इस बार रक्षाबंधन के दिन इतने लंबे समय के लिए शुभ मुहूर्त बनने जा रहा है।

इस शुभ मुहूर्त में बांधें भाई को राखी

राखी बांधने का मुहूर्त: 05:49:59 से 18:01:02 तक

अवधि : 12 घंटे 11 मिनट

रक्षा बंधन का अपराह्न मुहूर्त : 13:44:36 से 16: 22:48 तक

इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्यौहार

भाई बहन के इस पवित्र त्यौहार को मनाने के पीछे यूँ तो बहुत सी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। उनमें से कुछ का जिक्र यहाँ हम करने जा रहे हैं।

एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान् श्री कृष्ण के हाथों पर किसी कारणवश चोट लगने पर द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके चोट पर बाँधा था। अपने प्रति द्रौपदी की इस भावना को देख श्रीकृष्ण ने उसे वचन दिया की वो हमेशा उसकी रक्षा करेंगे। उस दिन के बाद हर साल इस दिन को भाई बहन के प्रमुख त्यौहार रक्षाबंधन के रूप में मनाया जाने लगा।
एक अन्य मान्यता के अनुसार चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने गुजरात के राजा से बचाव के लिए मुग़ल सम्राट हुमायूँ को राखी भेजी थी। हुमायूँ ने कर्णावती की राखी का सम्मान करते हुए उन्हें सहायता प्रदान की थी। तब से लेकर आजतक इस हर साल उस दिन को रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।

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