मनुष्य जीवन के विविध क्षेत्रों का संबंध :-

कुंडली के इन 12 भावों से है। इसलिए प्रत्येक भाव मनुष्य जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। बारह भाव जीवन के सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन भावों पर जैसे ही ग्रहों का प्रभाव पड़ता है उसका असर जीवन के उस विशेष क्षेत्र में देखने को मिलता है जिससे उनका संबंध होता है।

यदि आपकी कुंडली के 12 भाव में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है तो इसके प्रभाव से आपको जीवन में सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है। जबकि इसके विपरीत यदि किसी भाव में ग्रहों की स्थिति कमज़ोर होती है तो जातकों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

ऋणानुबंधन एवं कुंडली के 12 भाव
ऐसा कहते हैं कि यदि बिना उधार चुकाए किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो अगले जन्म में उस क़र्ज को उतारना पड़ता है। यह क़र्ज किसी भी प्रकार का हो सकता है। इसलिए वर्तमान जन्म में हम ऐसे लोगों अथवा जीव-जंतुओं से भी मिलते हैं जिनका क़र्ज पिछले जन्म में कहीं न कहीं हमारे ऊपर चढ़ा हुआ होता है।

हमारे जीवन में हर एक कार्य के पीछे कोई न कोई निमित्त अवश्य होता है। बिना किसी निमित्त के हम कोई भी कार्य नहीं करते हैं। यदि यह निमित्त समाप्त हो जाता है तो व्यक्ति इस जीवनचक्र से निकल जाता है। अर्थात वह मोक्ष को प्राप्त कर लेता है। इस बात को ज्योतिष के माध्यम से समझा जा सकता है। क्योंकि वैदिक ज्योतिष में मनुष्य के संपूर्ण जीवन को जन्म कुंडली में 12 भावों में विभाजित किया है बल्कि उसे समेटा भी है। 12 भावों में से प्रत्येक भाव का एक विशेष अर्थ है। हम अपने दैनिक जीवन में लोगों से किस प्रकार मिलते हैं? क्यों मिलते हैं? तथा हमारा उनके साथ कैसा व्यवहार रहता है? ये सभी सवालों का जवाब कुंडली के 12 भावों में निहित है। भाव दरअसल घर होते हैं और घर में हम किसको कितना महत्व देते हैं। यह दूसरों के प्रति हमारी धारणा पर निर्भर होता है। कुंडली के 12 भावों को समझने से पहले हमें भाव एवं राशि-चक्र के व्यवस्थित प्रारूप को समझने की आवश्यकता है।

भाव एवं राशि चक्र का व्यवस्थित प्रारूप
ज्योतिष के अनुसार राशि-चक्र 360 अंश का होता है जो 12 भावों में विभाजित है। अर्थात एक भाव 30 अंश का होता है। कुंडली में पहला भाव लग्न भाव होता है उसके बाद शेष 11 भावों का अनुक्रम आता है। एक भाव संधि से दूसरी भाव संधि तक एक भाव होता है। अर्थात लग्न या प्रथम भाव जन्म के समय उदित राशि को माना जाता है।

कुंडली के 12 भाव

प्रथम भाव: यह व्यक्ति के स्वभाव का भाव होता है।
द्वितीय भाव: यह धन और परिवार का भाव होता है।
तृतीय भाव: यह भाई-बहन, साहस एवं वीरता का भाव होता है।
चतुर्थ भाव: कुंडली में चौथा भाव माता एवं आनंद का भाव है।
पंचम भाव: कुंडली में पाँचवां भाव संतान एवं ज्ञान का भाव होता है।
षष्ठम भाव: यह भाव शत्रु, रोग एवं उधारी को दर्शाता है।
सप्तम भाव: सातवाँ भाव विवाह एवं पार्टनरशिप का प्रतिनिधित्व करता है।
अष्टम भाव: कुंडली में आठवाँ भाव आयु का भाव होता है।
नवम भाव: ज्योतिष में नवम भाव भाग्य, पिता एवं धर्म का बोध कराता है।
दशम भाव: दसवाँ भाव करियर और व्यवसाय का भाव होता है।
एकादश भाव: कुंडली में ग्यारहवाँ भाव आय और लाभ का भाव है।
द्वादश भाव: कुंडली में बारहवाँ भाव व्यय और हानि का भाव होता है।

भाव के प्रकार

केन्द्र भाव:
वैदिक ज्योतिष में केन्द्र भाव को सबसे शुभ भाव माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार यह लक्ष्मी जी की स्थान होता है। केन्द्र भाव में प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव और दशम भाव आते हैं। शुभ भाव होने के साथ-साथ केन्द्र भाव जीवन के अधिकांश क्षेत्र को दायरे में लेता है। केन्द्र भाव में आने वाले सभी ग्रह कुंडली में बहुत ही मजबूत माने जाते हैं। इनमें दसवाँ भाव करियर और व्यवसाय का भाव होता है। जबकि सातवां भाव वैवाहिक जीवन को दर्शाता है और चौथा भाव माँ और आनंद का भाव है। वहीं प्रथम भाव व्यक्ति के स्वभाव को बताता है। यदि आपकी जन्म कुंडली में केन्द्र भाव मजबूत है तो आप जीवन के विभिन्न क्षेत्र में सफलता अर्जित करेंगे।

त्रिकोण भाव: वैदिक ज्योतिष में त्रिकोण भाव को भी शुभ माना जाता है। दरअसल त्रिकोण भाव में आने वाले भाव धर्म भाव कहलाते हैं। इनमें प्रथम, पंचम और नवम भाव आते हैं। प्रथम भाव स्वयं का भाव होता है। वहीं पंचम भाव जातक की कलात्मक शैली को दर्शाता है जबकि नवम भाव सामूहिकता का परिचय देता है। ये भाव जन्म कुंडली में को मजबूत बनाते हैं। त्रिकोण भाव बहुत ही पुण्य भाव होते हैं केन्द्र भाव से इनका संबंध राज योग को बनाता है। इन्हें केंद्र भाव का सहायक भाव माना जा सकता है। त्रिकोण भाव का संबंध अध्यात्म से है। नवम और पंचम भाव को विष्णु स्थान भी कहा जाता है।

उपचय भाव: कुंडली में तीसरा, छठवाँ, दसवाँ और ग्यारहवाँ भाव उपचय भाव कहलाते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि ये भाव, भाव के कारकत्व में वृद्धि करते हैं। यदि इन भाव में अशुभ ग्रह मंगल, शनि, राहु और सूर्य विराजमान हों तो जातकों के लिए यह अच्छा माना जाता है। ये ग्रह इन भावों में नकारात्मक प्रभावों को कम करते हैं।

मोक्ष भाव: कुंडली में चतुर्थ, अष्टम और द्वादश भाव को मोक्ष भाव कहा जाता है। इन भावों का संबंध अध्यात्म जीवन से है। मोक्ष की प्राप्ति में इन भावों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

धर्म भाव: कुंडली में प्रथम, पंचम और नवम भाव को धर्म भाव कहते हैं। इन्हें विष्णु और लक्ष्मी जी का स्थान कहा जाता है।

अर्थ भाव: कुंडली में द्वितीय, षष्ठम एवं दशम भाव अर्थ भाव कहलाते हैं। यहाँ अर्थ का संबंध भौतिक और सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए प्रयोग होने वाली पूँजी से है।

काम भाव: कुंडली में तीसरा, सातवां और ग्यारहवां भाव काम भाव कहलाता है। व्यक्ति जीवन के चार पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) में तीसरा पुरुषार्थ काम होता है।

दु:स्थान भाव: कुंडली में षष्ठम, अष्टम एवं द्वादश भाव को दुःस्थान भाव कहा जाता है। ये भाव व्यक्ति जीवन में संघर्ष, पीड़ा एवं बाधाओं को दर्शाते हैं।

मारक भाव: कुंडली में द्वितीय और सप्तम भाव मारक भाव कहलाते हैं। मारक भाव के कारण जातक अपने जीवन में धन संचय, अपने साथी की सहायता में अपनी ऊर्जा को ख़र्च करता है।

प्रत्येक भाव के स्वामी

वैदिक ज्योतिष के अनुसार, काल पुरुष कुंडली का प्रारंभ मेष राशि से होता है। यह स्वाभाविक रूप से वैदिक जन्म कुंडली होती है। काल पुरुष कुंडली में सात ग्रहों को कुंडली के विभिन्न भावों का स्वामित्व प्राप्त है:

मंगल: काल पुरुष कुंडली में मंगल ग्रह को कुंडली के प्रथम एवं अष्टम भाव का स्वामित्व प्राप्त है।

शुक्र:
काल पुरुष कुंडली में शुक्र ग्रह दूसरे और सातवें भाव का स्वामी होता है।

बुध:
काल पुरुष कुंडली में बुध ग्रह तीसरे एवं छठे भाव का स्वामी होता है।

चंद्रमा:
काल पुरुष कुंडली के अनुसार चंद्र ग्रह केवल चतुर्थ भाव का स्वामी है।

सूर्य:
काल पुरुष कुंडली में सूर्य को केवल पंचम भाव का स्वामित्व प्राप्त है।

बृहस्पति:
काल पुरुष कुंडली में गुरु नवम और द्वादश भाव का स्वामी होता है।

शनि:
काल पुरुष कुंडली में शनि ग्रह दशम एवं एकादश भाव के स्वामी हैं।

इस प्रकार आप देख सकते हैं कि ज्योतिष में कुंडली के 12 भाव मनुष्य के संपूर्ण जीवन चक्र को दर्शाते हैं। इसलिए इन बारह भाव के द्वारा व्यक्ति के जीवन को अच्छी तरह से समझा जा सकता है।

-: अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें :-
Ratnakar Jyotish Sansthan
Flat No 102, Vigyan Khand,
Gomati Nagar, Near Rajat Petrol Pump
Lucknow 226010 Uttar Pardesh.
+91 70525 89999
info@rjyotishi.com
Download Android App
सम्पर्क सूत्र

One Comment

  1. generic cialis from india February 16, 2022 at 6:46 pm - Reply

    I’m curious to find out what blog platform you have been using?
    I’m experiencing some small security problems with my latest site and
    I’d like to find something more safeguarded. Do you have
    any recommendations?

Leave A Comment