मूल रूप से तुर्की में पाए जाने वाले फिरोज़ा को अंग्रेजी में टरक्वाइश (Turquoise) भी कहते हैं। यह गहरे नीले रंग का रत्न होता है। इस रत्न को पहनने के लिए ज़्यादा सोचने-समझने की ज़रूरत नहीं होती है। फिरोज़ा बृहस्पति ग्रह का रत्न होता है इसलिए इसे धारण करने से ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसी कारण इस रत्न को प्राचीन संस्कृति में धन के प्रतीक के रूप में जाना जाता था और इसे इसकी उपचारात्मक शक्तियों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यह रत्न केवल ज्योतिषीय दुनिया में ही नहीं बल्कि आभूषण के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसी कारण मूल और प्राचीन फिरोज़ा को प्राप्त करना मुश्किल होता है। यह एक ख़ूबसूरत व किफ़ायती रत्न है जो सभी चक्रों के बीच संतुलन बनाए रखता है और मन को विचलित होने से बचाता है। फिरोज़ा रत्न कई शेड्स जैसे एप्पल ग्रीन, ग्रीनिश ग्रे, ग्रीनिश ब्लू में उपलब्ध होता है लेकिन सबसे अच्छा रंग आसमानी नीला ही माना जाता है। पुरातन काल में फिरोज़ा को दयालुता व नम्रता पैदा करने के लिहाज़ से भी इस्तेमाल किया जाता था, इसी कारण इस रत्न को ताबीज़ के रूप में भी पहना जाता है। फिरोज़ा रत्न को सबसे कुशल मरहम के रूप में भी जाना जाता है। जब फिरोज़ा रत्न का रंग बदलता है या वह टूट जाता है तब यह भविष्य में आने वाली समस्याओं को इंगित करता है। यह दोस्ती, साहस और आशा का प्रतीक भी है।

फिरोज़ा के फायदे

फिरोज़ा व्यक्ति को अंजान रास्ते पर भटकने से रोकता है और हानिकारक चीज़ों से बचाता है। फिरोज़ा के कुछ और भी लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • यह आपकी सामाजिक स्थिति और मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी करता है।
  • फिरोज़ा मानसिक स्थिति को मज़बूत बनाता है और संवाद के अभाव को दूर करता है।
  • इसके प्रभाव से अभूतपूर्व मन की शक्ति प्रदान होती है।
  • यह आपके आत्म-सम्मान और विश्वास को बढ़ाने में मदद करता है।
  • यह आपकी मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाता है और आपको बुरी आत्माओं से बचाता है।
  • फिरोज़ा को सहानुभूति का उपचार रत्न भी कहा जाता है जिससे पहनने वाले की संवेदनशीलता और सोच शक्ति में सुधार होता है।
  • यह दुर्भाग्य को खत्म कर सौभाग्य प्रदान करता है और इस कारण जातक को बेहतर स्वास्थ्य, धन, ज्ञान, प्रसिद्धि और ताकत मिलती है।
  • फिरोज़ा रत्न पहनने से व्यक्तित्व में आकर्षण आता है और रचनात्मक शैली सुधरती है।

फिरोज़ा के नुकसान

सामान्यतः फिरोज़ा का कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है इसलिए इसे पहनने से कोई नुकसान नहीं होता।

फिरोज़ा रत्न का स्वास्थ्य पर प्रभाव

प्राकृतिक तौर पर हीलिंग यानि उपचार के गुण मौजूद होने के कारण फिरोज़ा रत्न को हीलिंग स्टोन के रूप में भी माना जाता है। इस रत्न को धारण करने से जातक को शारीरिक लाभ प्राप्त होता है और प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इस पत्थर की मदद से शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त होती है। श्वास संबंधी या दांतों से संबंधित समस्या, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, अवसाद और नशे की लत से बीमार लोगों के लिए यह रत्न काफी लाभदायक है। फिरोज़ा के शक्तिशाली प्रभाव के कारण प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से निजात मिलती है। यदि किसी व्यक्ति पर कोई मुसीबत या परेशानी आने वाली होती है, तब यह रत्न अपना रंग बदल देता है। यह बदलाव भविष्य में आने वाली समस्याओं के प्रति सचेत करता है। फिरोज़ा के प्रभाव से थकान व सुस्ती भी दूर होती है। फिरोज़ा रत्न जातक की नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है और उसे बेहतर संवाद शैली, रचनात्मक गुणों व कौशल से भर देता है।

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कौन कर सकता है फिरोज़ा धारण?

वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्ति की मांग रखने वाले व विवाह में देरी से परेशान लोग इस रत्न को धारण कर सकते हैं। जो लोग प्यार में हैं और अपने प्यार को समाज में एक मुक़ाम देना चाहते हैं, वो भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं। प्रेम संबंधों के लिए यह रत्न बहुत प्रभावी है। करियर में सफलता के लिए या जो लोग कलात्मक है, वो भी फिरोज़ा रत्न को धारण कर सकते हैं। धनु राशि के लोगों के लिए फिरोज़ा रत्न उपयुक्त है। इसके अलावा फिल्मी कलाकार, व्यवसायी व पेशे से आर्किटेक्चर, चिकित्सक और इंजीनियर भी इस रत्न को पहन सकते हैं क्योंकि यह कई मायनों में फ़ायदेमंद है। महत्वाकांक्षी व उभरता हुआ कोई भी कलाकार इस रत्न के प्रभाव से अपने अंदर आत्म-विश्वास महसूस कर सकता है। यदि निजी रिश्तों में कोई तनाव या समस्या है तो फिरोज़ा को धारण करने से इन सभी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती हैं। इसके प्रभाव से लोकप्रियता व मित्रता में भी बढ़ोत्तरी होती है।

फिरोज़ा धारण करने की विधि

फिरोज़ा रत्न एक विशिष्ट दिन पर पहना जाना चाहिए ताकि पहनने वाले के लिए वह रत्न अनुकूल हो सके। स्नान करने के बाद ही अंगूठी को धारण करना चाहिए लेकिन इससे पहले अंगूठी को कच्चे दूध व गंगाजल के मिश्रण में डुबोए रखें ताकि वह शुद्ध हो जाए। इसके बाद पूजा-अर्चना करने पर ही अंगूठी धारण करनी चाहिए। इस रत्न को आप सोने या तांबे के धातु में बनवाकर धारण कर सकती हैं।

पहनने का दिन

फिरोज़ा पहनने के लिए सबसे अच्छा दिन शुक्रवार है लेकिन आप चाहें तो इस रत्न को बृहस्पति या शनिवार के दिन भी धारण कर सकते हैं। फिरोज़ा रत्न को धारण करने का सबसे शुभ समय प्रातः 6 बजे से 8 बजे तक होता है।

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