देव पितृ कार्य अमावस्या, जानें विधि और इससे मिलने वाले लाभ

हर वर्ष आने वाली श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को ही देव पितृ कार्य अमावस्या के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में देव पितृ कार्य अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस वर्ष 2019 में ये देव पितृ कार्य अमावस्या 30 अगस्त, शुक्रवार को देशभर में मनाई जाएगी।

देव पितृ कार्य अमावस्या की महत्वता को समझते हुए चलिए अब जानते हैं इस दौरान किये जाने वाले वो विशेष उपाय व कार्य जिन्हे करना शास्त्रों में बेहद ज़रूरी बताया गया है। क्योंकि इन उपायों को करने से ही आपकी कुंडली में मौजूद किसी भी प्रकार का पितृ दोष, कालसर्प दोष आदि से आपको तुरंत निवारण मिल पाएगा।

देव पितृ कार्य अमावस्या की पूजा-विधि

  • मान्यताओं अनुसार देव पितृ कार्य अमावस्या वाले दिन सुबह स्नान-आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहने।
  • इसके बाद किसी पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें।
  • जल में विशेषतौर से काले तिल, सफ़ेद फुल, सफ़ेद चन्दन मिलकर ही जल चढ़ाना चाहिए।
  • इसके बाद पीपल के वृक्ष के सामने घी का एक दीपक जलाएं।
  • इसके बाद पीपल की सच्चे मन से पूजा करें क्योंकि हिन्दू धर्म के अनुसार पीपल को पितरों का निवास स्थान माना जाता है।
  • फिर “ॐ सर्व पितृ देवाय नम:” मंत्र का जाप करते हुए वृक्ष की परिक्रमा करें।
  • देव पितृ कार्य अमावस्या के दौरान किये जाने वाले विशेष कार्य
  • पितरों की शांति के लिए सर्वपितृमोक्ष अमावस्या वाले दिन लघु रुद्र का पाठ करना बेहद लाभकारी माना जाता है। ऐसे में ये पाठ स्वयं ही करना चाहिए और अगर ऐसा संभव न हो तो आप किसी योग्य ब्राह्मण से भी इसका पाठ करा सकते हैं।
  • सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या वाले दिन माना गया है कि ग़रीबों या ज़रूरतमंदों को अपनी श्रद्धानुसार दान करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस दिन दान-पुण्य करना उचित।
  • देव पितृ कार्य अमावस्या वाले दिन किसी ब्राह्मण को भोज कराना भी बेहद शुभ होता है। इसके अलावा आप उन्हें भोजन सामग्री जैसे:आटा, फल, सब्जी, गुड, और साथ में दक्षिणा भी दान में दे सकते हैं।
  • अगर संभव हो तो ग़रीबों को भी भोज कराए। इसके लिए लोग जगह-जगह भंडारों का आयोजन भी करते हैं।
  • सर्वपितृमोक्ष अमावस्या वाले दिन किसी पवित्र नदी में काले तिल डालकर तर्पण करना शुभ होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ देव खुश होते है।
  • देवसर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पितृ और पूर्वजों का स्मरण करते हुए गौ माता को हरा चारा खिलाना चाहिए।
  • देव पितृ कार्य अमावस्या वाले दिन मुख्यरूप से चावल के आटे के बने 5 पिंड बनाकर उन्हें लाल कपडे में लपेटकर किसी नदी में बहाने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • इस अमावस्या वाले दिन गाय के गोबर से बने कंडे का इस्तेमाल करना शुभ माना गया है। इसके लिए लोग उन कंडों को जलाकर उस पर गुग्गल के साथ घी डालकर गुड का भोग लगाते है। क्योंकि माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ खुश होते है।
  • इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्म करने के बाद शिव मंदिर में जाना ज़रूरी होता है। इस दौरान शिवलिंग पर तांबे का नाग चढ़ाना और मंदिर में बैठ कर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ होता है। ऐसा करने से जातक को हर प्रकार के कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
  • पितृ कार्य अमावस्या वाले दिन नवनाग स्तोत्र का पाठ करना भी विशेष लाभकारी रहता है।
  • देवपितृकार्य अमावस्या पर सूर्योदय के समय कच्चा दूध, तिल, जौ, चावल मिलाकर किसी नदी में बहाने से भी पितृ दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है।
  • मान्यताओं अनुसार इस दिन मछलियों को आटे से बनी गोलियां और चिटियो को शक्कर मिला आटा खिलाना बेहद कारगर होता है।
  • शास्त्रों अनुसार जिन भी जातक की कुंडली में कार्ल सर्प योग का निर्माण होता है, उन्हें विशेषतौर से पितृ कार्य अमावस्या वाले दिन सुबह चाँदी से बने नाग और नागिन की पूजा करके उन्हें नदी में बहा देना चाहिए।
  • इस अमावस्या पर कार्ल सर्प दोष से पीड़ित जातक अपने घर के पूजा स्थान पर श्री संपूर्ण कालसर्प यंत्र की विधिपूर्वक तरीके से स्थापना कर उनकी रोज पूजा-आराधना करें। ये उपाय बेहद कारगर माना गया है।
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